महाराणा कुम्भा का जीवन परिचय।

महाराणा कुम्भा


भारत की मिट्टी पर अनेक वीरों ने जन्म लिया यह एक ऐसी धरती है जहां पर अनेक वीर जन्म लेते रहते हैं । अगर कहीं अगरकह अगर कहां जाए कि मेवाड़ हीरो की धरती तो यह उचित होगा अपने राणा  


महाराणा कुम्भा का जन्म 1433 में मेवाड़ सिसोदिया राजवंश में हुआ था। इनके पिता का नाम राणा था।तथा इनके माता का नाम सौभाग्यवती परमार था। 
संताने
उदय सिंह,राणा रायमल,रामबाई, बागीश्वरी 

इतिहास में इनको कुम्भा के नाम से जाना जाता है।लेकिन इनका नाम महाराणा कुंभकर्ण था। 1433 से 1468 तक इन्होंने मेवाड में राज्य किया।
महाराणा कुम्भा अपने समय के सबसे श्रेष्ठा राजा थे।इन्होंने मेवाड के आस पास के राज्यों को जीत कर अपने आधीन कर लिया।

 महाराणा कुम्भा की उपाधियां 


 अभिनवभूतार्च भासवत आदि वराह राणेराय, रावराय हालगुरु शैलगुरु दानगुरु छापगुरु नरपति परमवति गजपति अश्वषति हिन्दू सुरतान नन्दी केश्वर परम


 राणा कुम्भा ने अपने शासन काल में अनेक मंदिरों और दुर्गों का निर्माण करवाया इन्होंने अपने विजय पर अनेक इमारतों का निर्माण करवाया लेखक के अनुसार कुम्भा ने 32 दुर्गों का निर्माण कराया जिसमें कुंभलगढ़,अलछगढ ,मचान दुर्ग,बसंतगढ़ आदि है।
राणा कुम्भा वीर होने के साथ साथ बड़े संगीत प्रेमी भी थे। उन्होंने कई संगीत के अनेक ग्रंथों की रचना की चंडीशतक ,गीतगोविंद आदि की व्याख्या की।

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